Wednesday, January 23, 2013

हे राम-कृष्ण की संतानो! तुमको फिर शोर्य दिखाना है

हे भारत के उज्ज्वल भविष्य!
तुमको आगे बढ़ना होगा।
शिक्षा की कर में ले कटार,
यह महासमर लड़ना होगा।
हे राम-कृष्ण की संतानो!
तुमको फिर शोर्य दिखाना है
बन ज्ञानवान, होकर सुजान
माटी का कर्ज चुकाना है।
तुम बराहमिहिर, जगदीशचन्द्र
भास्कराचार्य नागार्जुन हो,
गुरु कृष्ण समान तुम्हारे हैं,
तुम महासमर के अर्जुन हो
सम्पन्न सुखी सब जीवन हों
ऐसा भारत गढ़ना होगा।
हे भारत के .............
है तड़प रहा अब स्वर्णपक्षि
आहत अनगिन आघातों से
सब नौंच रहे हैं बार-बार
उसके पर अपने हाथों से
है कौन दुष्ट, है श्रेष्ठ कौन
शिक्षित होकर ही जानोगे 
 है कौन शत्रु है कौन मित्र
मंथन कर ही पहचानोगे
कितनी भी कठिन परीक्षा हो,
यह महाशिखर चढ़ना होगा
हे भारत के .................

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