Friday, January 11, 2013

रात जिनकी सर्द, चेहरे जर्द लड़ उनके लिए,

है जमाना गर बुरा तो क्या हुआ तू गम न कर,
जीत लड़कर ही मिलेगी आँख को तू नम न कर.

देख आँखें खोलकर के है महाभारत अटल,
कौरवों का साथ मत दे, पांडवों से कम न कर.

लूटता है देश कोई, त्रस्त कोई भूख से,
दे चुनौती रोटियों को लूटने का दम न भर.





दुष्टता पर मौन रहना भी अधम है पाप है,
तू प्रकाशित कर जगत को भूल से भी तम न कर

रात जिनकी सर्द, चेहरे जर्द लड़ उनके लिए,
जीत निश्चित ही मिलेगी बेबजह का भ्रम न कर.

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