रोता है कश्मीर, सिसकती घाटी है.
कट्टरता ने भारत माता बांटी है.
मक्कारी है या सैकूलर चूकें हैं.
अमरनाथ की पिण्डी पर बंदूकें हैं.
और जुबां पर नारे पाकिस्तान के.
रोज जलाते झण्डे हिन्दुस्तान के.
चाहे पेट भरे भारत की माटी है.
कट्टरता ने भारत माता बांटी है.
राजनीति गद्दारों की हमजोली है.
कड़क नही अब कायरता की बोली है.
राष्ट्र अस्मिता अब गुण्डों की दासी है.
दानवता मानव के खूं की प्यासी है.
खोजा नहीं मिली, गाँधी की लाठी है.
कट्टरता ने भारत माता बांटी है.
पाठ घृणा के धर्म नाम पर चलते हैं.
संत-वेष में घर-घर पापी पलते हैं.
हम तो अंधे हैं वोटो की चाहों में.
वो बारूद बिछाऐं चाहे राहों में.
आहत भारत माँ ना केवल घाटी है.
कट्टरता ने भारत माता बांटी है.
आज देश में क्रन्दन है कायरता का.
अय्याशी का व्यसनों की आतुरता का.
कोठी अरू कारें संतों का सपना है.
सभी ओर से लूटो भारत अपना है.
कष्ट यही जड़ अपने हाथों काटी है.
कट्टरता ने भारत माता बाँटी है.
रोता है कश्मीर सिसकती घाटी है.
कट्टरता ने भारत माता बांटी है.
मक्कारी है या सैकूलर चूकें हैं.
अमरनाथ की पिण्डी पर बंदूकें हैं.
और जुबां पर नारे पाकिस्तान के.
रोज जलाते झण्डे हिन्दुस्तान के.
चाहे पेट भरे भारत की माटी है.
कट्टरता ने भारत माता बांटी है.
राजनीति गद्दारों की हमजोली है.
कड़क नही अब कायरता की बोली है.
राष्ट्र अस्मिता अब गुण्डों की दासी है.
दानवता मानव के खूं की प्यासी है.
खोजा नहीं मिली, गाँधी की लाठी है.
कट्टरता ने भारत माता बांटी है.
पाठ घृणा के धर्म नाम पर चलते हैं.
संत-वेष में घर-घर पापी पलते हैं.
हम तो अंधे हैं वोटो की चाहों में.
वो बारूद बिछाऐं चाहे राहों में.
आहत भारत माँ ना केवल घाटी है.
कट्टरता ने भारत माता बांटी है.
आज देश में क्रन्दन है कायरता का.
अय्याशी का व्यसनों की आतुरता का.
कोठी अरू कारें संतों का सपना है.
सभी ओर से लूटो भारत अपना है.
कष्ट यही जड़ अपने हाथों काटी है.
कट्टरता ने भारत माता बाँटी है.
रोता है कश्मीर सिसकती घाटी है.
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