जिस दिल में देश प्रेम को स्थान नहीं है
पीडि़त गरीब का जहां सम्मान नहीं है
अपनी नजर में चाहे वो जितना बड़ा बने
सच में वो बन सका अभी इन्सान नहीं है
दीपक की तरह खुद को जलाकर तो देखिए
मरुथल में एक पुष्प खिलाकर तो देखिए
आनंद की लहर से पुलक जायेगा हृदय
निर्बल से अपना हाथ मिलाकर तो देखिए
कुछ लोग मिलके देश उठाने में लगे हैं
कुछ ऐसे जो मस्तक को झुकाने में लगे हैं
कुछ ऐसे भी गद्दार हैं जिनको नहीं हया
खाते हैं जिसका उसको मिटाने में लगे हैं
डर-डर के सफर कोई कभी पार न होगा
कुछ तो करों वरना कभी उद्धार न होगा
जीना जो चाहते हो अगर स्वाभिमान से
हिम्मत से काम लो कोई अवतार न होगा
धमकी में हमें चीनो-पाक ले नहीं सकता
सीने पै अब वो घाव नये दे नहीं सकता
हममें भी तो है मिटने-मिटाने का हौसला
हट जाये नाव देश की जो खे नहीं सकता
करते थे राष्ट्र-धर्म की बातें हजार जो
सिंहासनों पै चाहते रहना सवार जो
देखा है हमने उनका गिरेहवान झांककर
साबित हुए हैं रंग में डूबे सियार वो
आँखो में कितने पीर के मंजर गुजर गए
आँसू में जाने कितने समंदर गुजर गए
जब-जब भी हमने दिल को मिलाने की बात की
तब-तब हमारी कोख से खंजर गुजर गए
पीडि़त गरीब का जहां सम्मान नहीं है
अपनी नजर में चाहे वो जितना बड़ा बने
सच में वो बन सका अभी इन्सान नहीं है
दीपक की तरह खुद को जलाकर तो देखिए
मरुथल में एक पुष्प खिलाकर तो देखिए
आनंद की लहर से पुलक जायेगा हृदय
निर्बल से अपना हाथ मिलाकर तो देखिए
कुछ लोग मिलके देश उठाने में लगे हैं
कुछ ऐसे जो मस्तक को झुकाने में लगे हैं
कुछ ऐसे भी गद्दार हैं जिनको नहीं हया
खाते हैं जिसका उसको मिटाने में लगे हैं
डर-डर के सफर कोई कभी पार न होगा
कुछ तो करों वरना कभी उद्धार न होगा
जीना जो चाहते हो अगर स्वाभिमान से
हिम्मत से काम लो कोई अवतार न होगा
धमकी में हमें चीनो-पाक ले नहीं सकता
सीने पै अब वो घाव नये दे नहीं सकता
हममें भी तो है मिटने-मिटाने का हौसला
हट जाये नाव देश की जो खे नहीं सकता
करते थे राष्ट्र-धर्म की बातें हजार जो
सिंहासनों पै चाहते रहना सवार जो
देखा है हमने उनका गिरेहवान झांककर
साबित हुए हैं रंग में डूबे सियार वो
आँखो में कितने पीर के मंजर गुजर गए
आँसू में जाने कितने समंदर गुजर गए
जब-जब भी हमने दिल को मिलाने की बात की
तब-तब हमारी कोख से खंजर गुजर गए
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