ऐ हिन्दू यह याद रखो सम्मान तुम्हारा जायेगा।
गौरवशाली यह अतीत बलिवेदी पर चढ़ जायेगा।
जन्मजात गद्दारों से तू बात प्रेम की करता है।
इसीलिए बस पल-प्रति-पल ही राष्ट्र-घात को सहता है।
काश्मीर में हत्याएँ नित जगह-जगह पर दंगे हैं।
देश द्रोहियों के कुहनी तक, हाथ खून में रंगे हैं।
एक दिन वो आयेगा जब कुछ नहीं बच पायेगा।
गौरवशाली यह अतीत...........................।।1।।
अपमानित होतीं द्रोपदियाँ, दुर्योधन की घातों में।
यह सब कुछ होता हम देखें दिन में भी औ’ रातों में।।
भीड़ लगी है दुशासनों की, कृष्णों के नहि दर्शन हैं।
केवल बचीं याचनाएं ही या फिर दीखें क्रन्दन हैं।।
होता रहा अगर ऐसा ही, तो सब कुछ मिट जायेगा।
गौरवशाली यह अतीत..........................।।2।।
रौंद रहे हैं वे हमको नित लेकिन हम चुप-चाप रहंे।
मान और सम्मान हमारा कुचल रहे हम तदपि सहें।।
मजहब की तलवारों से वे कर विध्वंस रहे भारी।
फिर भी रक्षा की आशा है, आये कोई अवतारी।।
पर कलियुग में तुम्हें बचाने और न कोई आयेगा।
गौरवशाली यह अतीत ............................।।3।।
गौरवशाली यह अतीत बलिवेदी पर चढ़ जायेगा।
जन्मजात गद्दारों से तू बात प्रेम की करता है।
इसीलिए बस पल-प्रति-पल ही राष्ट्र-घात को सहता है।
काश्मीर में हत्याएँ नित जगह-जगह पर दंगे हैं।
देश द्रोहियों के कुहनी तक, हाथ खून में रंगे हैं।
एक दिन वो आयेगा जब कुछ नहीं बच पायेगा।
गौरवशाली यह अतीत...........................।।1।।
अपमानित होतीं द्रोपदियाँ, दुर्योधन की घातों में।
यह सब कुछ होता हम देखें दिन में भी औ’ रातों में।।
भीड़ लगी है दुशासनों की, कृष्णों के नहि दर्शन हैं।
केवल बचीं याचनाएं ही या फिर दीखें क्रन्दन हैं।।
होता रहा अगर ऐसा ही, तो सब कुछ मिट जायेगा।
गौरवशाली यह अतीत..........................।।2।।
रौंद रहे हैं वे हमको नित लेकिन हम चुप-चाप रहंे।
मान और सम्मान हमारा कुचल रहे हम तदपि सहें।।
मजहब की तलवारों से वे कर विध्वंस रहे भारी।
फिर भी रक्षा की आशा है, आये कोई अवतारी।।
पर कलियुग में तुम्हें बचाने और न कोई आयेगा।
गौरवशाली यह अतीत ............................।।3।।
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