हो मन ये निश्छल, विमल हो ये वाणी.
जगे राष्ट्रभक्ति, जगे राष्ट्र प्राणी..
हृदय ज्ञान जैसे, तू गीता का भर दे,
हे शारदे माँ मुझे ऐसा वर दे.
कहीं कष्ट देखँू, नहीं चुप रहूँ मैं,
मनुज वेदना को नहीं चुप सहूँ मैं.
हिलें दुष्ट दिल, शब्द ऐसे प्रखर दे,
हे शारदे माँ मुझे ऐसा वर दे.
जो अपनों से भारत छला जा रहा है.
प्रबल सत्य सूरज, ढला जा रहा है.
कहूँ सत्य वह; भावना ऐसी भर दे.
हे शारदे माँ मुझे ऐसा वर दे.
मेरे देश बन्धू, खड़े हीनता में.
हैं हाथों को बाँधे पड़े दीनता में,
खड़े हों वे उठ बात में वो असर दे.
हे शारदे माँ मुझे ऐसा वर दे.
बनूँ मैं न याचक कभी भौतिकी का.
रहूँ एक बाहक, सदा ही गती का.
बनूँ सत्य का पारखी वह नजर दे.
हे शारदे माँ मुझे ऐसा वर दे...
जगे राष्ट्रभक्ति, जगे राष्ट्र प्राणी..
हृदय ज्ञान जैसे, तू गीता का भर दे,
हे शारदे माँ मुझे ऐसा वर दे.
कहीं कष्ट देखँू, नहीं चुप रहूँ मैं,
मनुज वेदना को नहीं चुप सहूँ मैं.
हिलें दुष्ट दिल, शब्द ऐसे प्रखर दे,
हे शारदे माँ मुझे ऐसा वर दे.
जो अपनों से भारत छला जा रहा है.
प्रबल सत्य सूरज, ढला जा रहा है.
कहूँ सत्य वह; भावना ऐसी भर दे.
हे शारदे माँ मुझे ऐसा वर दे.
मेरे देश बन्धू, खड़े हीनता में.
हैं हाथों को बाँधे पड़े दीनता में,
खड़े हों वे उठ बात में वो असर दे.
हे शारदे माँ मुझे ऐसा वर दे.
बनूँ मैं न याचक कभी भौतिकी का.
रहूँ एक बाहक, सदा ही गती का.
बनूँ सत्य का पारखी वह नजर दे.
हे शारदे माँ मुझे ऐसा वर दे...
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