जिंदगी ने सदा ही छली जिंदगी।
दर्द की गोद में ही पली जिंदगी।
रुठ जाना मनाना अलग बात है
डूबना पार जाना अलग बात है
जेठ की चिलचिलाती हुई धूप में
छांव पाना न पाना अलग बात है
बर्फ सी ठोस लेकिन गली जिंदगी
जिंदगी ने सदा ही छली जिंदगी
कामनाओं के घनघोर सागर मिले
प्रीति के अधभरे सिर्फ गागर मिले
व्यर्थ की बढ़ रही इस बड़ी भीड़ में
बेवजह दौड़ते से मुसाफिर मिले
देखते-देखते ही ढली जिंदगी
जिंदगी ने सदा ही छली जिंदगी
नाम की उसके माला ही फेरे रहे
ना पता हमको क्यों फिर भी घेरे रहे
देखते ही हमें छुप गई चांदनी
जिंदगी में टिकाऊ अंधेरे रहे
यूं अंधेरों में अकसर चली जिंदगी
जिंदगी ने सदा ही छली जिंदगी
आँँख की कोर तक पीर आती रही
घूंट भर आँँख इसको छिपाती रही
और अन्दर से कोई मसलता रहा
मौन रह आत्मा तिलमिलाती रही
यूं तड़प में निरन्तर पली जिंदगी
जिंदगी ने सदा ही छली जिंदगी
एक दिन देह का देवता भी गया
कर सका कुछ नहीं देखता रह गया
सब सधी भावनाऐं तड़पती रहीं
मैं अकेला यूं ही बेखता रह गया
क्या भरोसा चली न चली जिंदगी
जिंदगी ने सदा ही छली जिंदगी
दर्द की गोद में ही पली जिंदगी।
रुठ जाना मनाना अलग बात है
डूबना पार जाना अलग बात है
जेठ की चिलचिलाती हुई धूप में
छांव पाना न पाना अलग बात है
बर्फ सी ठोस लेकिन गली जिंदगी
जिंदगी ने सदा ही छली जिंदगी
कामनाओं के घनघोर सागर मिले
प्रीति के अधभरे सिर्फ गागर मिले
व्यर्थ की बढ़ रही इस बड़ी भीड़ में
बेवजह दौड़ते से मुसाफिर मिले
देखते-देखते ही ढली जिंदगी
जिंदगी ने सदा ही छली जिंदगी
नाम की उसके माला ही फेरे रहे
ना पता हमको क्यों फिर भी घेरे रहे
देखते ही हमें छुप गई चांदनी
जिंदगी में टिकाऊ अंधेरे रहे
यूं अंधेरों में अकसर चली जिंदगी
जिंदगी ने सदा ही छली जिंदगी
आँँख की कोर तक पीर आती रही
घूंट भर आँँख इसको छिपाती रही
और अन्दर से कोई मसलता रहा
मौन रह आत्मा तिलमिलाती रही
यूं तड़प में निरन्तर पली जिंदगी
जिंदगी ने सदा ही छली जिंदगी
एक दिन देह का देवता भी गया
कर सका कुछ नहीं देखता रह गया
सब सधी भावनाऐं तड़पती रहीं
मैं अकेला यूं ही बेखता रह गया
क्या भरोसा चली न चली जिंदगी
जिंदगी ने सदा ही छली जिंदगी
No comments:
Post a Comment