न हो भय-भूख-भ्रष्टाचार मेरे देश में
बने सम्पन्न भारत सत्य के परिवेश मंें.
उठें सर निर्बलों के, निर्धनों की भूख मिट जाये,
शोषण की थमे रफ्तार मेरे देश में.
कुचल दंे अब तो सर उनका जो सदियों लूटते आये.
बचें हिंसक न अब मक्कार, मेरे देश में.
उठो बन्धू! हिला दो नींब अत्याचार शोषण की.
बढ़े सद्भाव-सद्आचार मेरे देश में.
नयी पीड़ी को भी पछुआ हवाओं से बचाना है.
हो इक आदर्श घर परिवार मेरे देश में.
सिंहासन पै जो बगुले हैं उन्हें अब तो भगाना है.
बने संतों की अब सरकार मेरे देश में
बने सम्पन्न भारत सत्य के परिवेश मंें.
उठें सर निर्बलों के, निर्धनों की भूख मिट जाये,
शोषण की थमे रफ्तार मेरे देश में.
कुचल दंे अब तो सर उनका जो सदियों लूटते आये.
बचें हिंसक न अब मक्कार, मेरे देश में.
उठो बन्धू! हिला दो नींब अत्याचार शोषण की.
बढ़े सद्भाव-सद्आचार मेरे देश में.
नयी पीड़ी को भी पछुआ हवाओं से बचाना है.
हो इक आदर्श घर परिवार मेरे देश में.
सिंहासन पै जो बगुले हैं उन्हें अब तो भगाना है.
बने संतों की अब सरकार मेरे देश में
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