Saturday, January 12, 2013

गरीबी का नहीं प्रमाणपत्र का सम्मान ह



बड़ी भारी संख्या है
आज पण्डाल में।
लगता है कोई मेला लगा है।
इसीलिए भीड़ का रेला लगा है।
हाथ में लाठी लिये हुए पुलिसिए
भीड़ को इधर-उधर भगा रहे हैं।
कारण जानने पर पता चला
कि कोई मंत्री जी आ रहे हंै।
और इसीलिए पुलिसिए अपना
कर्तव्य निभा रहे हैं।
कुछ देर बाद
फड़फड़ाता हुआ हैलीकाॅप्टर आया।
और उसमें से उतरी
एक तीन कुन्तल की काया।
समर्थक गला फाड़ कर
चिल्ला रहे हैं।
मंत्रीजी के पक्ष में
नारे लगा रहे हैं।
काफी गदगद होते हुए मंत्रीजी
मंच पर आये।
थोड़े सकुचाये,
फिर खुलकर मुस्कराये।
घोषणा पत्रों के लिफाफे खोले।
फिर माइक पर बोले।
आज गरीबों को हम चैक देंगे।
गरीबी को उखाड़ कर फैंक देंगे।
और भी बोलने के बाद
वे एकत्रित गरीबों में आये।
एक अधिकारी ने
उन्हें कुछ चैक थमाए।
गरीबों ने कुछ खास किस्म के
राशनकार्ड दिखाए।
और मंत्रीजी ने उन्हें चैक थमाए।
आगे वाले, चैक कोट की जेब में
ले जारहे हैं।
और उनके स्थान पर
पीछे वाले आ रहे हैं।
तभी मैंने देखा कि एक महिला,
फटे कपड़े, नवजात शिशु,
सूखा तन, भीड़ के धक्के खाती हुई
चैक के लालच में आ रही है।
चेहरे से लगता है कि
उसे कई दिन से भूख सता रही है।
एक मोटे पेट के पुलिसिए नेे उसे टोका।
महिला पुलिस की सहायता से रोका।
कड़क आवाज में पूंछा-कहां जा रही है।
महिला ने बताया कि वह विधवा,
वेसहारा और गरीब है।
कई दिन से भूखे बच्चे
की मृत्यु भी करीब है।
उसे थोड़ा आगे तक जाना है।
मंत्रीजी से चैक पाना है।
उस अधिकारी ने अपनी नजरों को
उसकेे चेहरे पर टांगा।
और गरीबी का उससे प्रमाणपत्र मांगा।
वह गरीब थी, यह सही था।
किन्तु उसके पास प्रमाणपत्र नहीं था।
पुलिसया बोला कि तू नहीं जा सकती।
और मंत्री से चैक नहीं पा सकती।
अब वह रोती हुई वापस जा रही है।
उसकी करुण आवाज
मेरा हृदय हिला रही है।
वाह रे भारत, तू कैसे महान है।
तुझमें रहने वाला कितना परेशान है।
और तेरी व्यवस्था तो
तुझसे भी अधिक महान है।
जहां गरीबी का नहीं
प्रमाणपत्र का सम्मान है।

No comments:

Post a Comment