Saturday, January 12, 2013

नदी




बर्फ के ठोस कतरे
स्वयं में संतुष्ट हो पड़े होते हैं
किन्तु जब उत्तप्त सूर्य
अपनी गर्म किरणें लेकर आता है
तो न चाहते हुए भी
बर्फ को पिघलना पड़ता है
यह पिघलना ही
प्रारम्भ होता है उसके जीवन का
जीवन गति का नाम है
सो वह चल पड़ता है
अपने स्वभाव के अनुसार
ढलान की ओर
अवरोधों से बचकर
धीरे-धीरे उसके साथ
कारवां बनने लगता है
वहीं स्वतंत्र सत्ता
और स्वामित्व का लोभ
कुछ जलकणों को खींच लेता है
तब निर्मिति होती है तालाब और डबरों की
किन्तु जो जुड़ते जाते हैं कारवां के साथ
विराट् उद्देश्य के लिए
जहां देने का नाम ही जीवन है
तो उसमें एक दिव्य प्रवाह जन्म लेता है
फिर सामने आने वाले अवरोध
कुछ खास नहीं कर पाते
बड़े-बड़े तने हुए शिलाखण्ड
टूटने लगते हैं
वेडौल होते हुए भी
नियति के अधीन उन्हें चलना होता है
तो वहीं कुछ ऐसे भी होते है
जो कुछ दूर चलकर
ले लेते हैं ओट
छिप जाते हैं कोनों में
चिपक जाते हैं भयवश शिलाओं से
किन्तु जो सौंप देते हैं स्वयं को
अज्ञात के हाथों में
वे नहीं रुकते, चलते जाते हैं
इस क्रम में वे औरों को भी तोड़ते हैं
और स्वयं भी टूटते हैं
उस प्रवाह के साथ चलने पर
उन्हें ईश्वर की सत्ता का ज्ञान होता है
फिर वे करते हैं प्रवाह के प्रति समर्पण
और यह समर्पण उनमें
प्राणों की प्रतिष्ठा करता है
वे बन जाते हैं सालिगराम
उनका महत्व देवतुल्य होता है
और स्थान देवालय
किन्तु नदी तो अपनी धुन में
श्रेय से बेखबर बढ़ती जाती है
उससे पोषण पाकर
खड़े होते हैं फलदार वृक्ष
तो साथ ही अपराधों के सहायक
झाड़ भी तन खड़े होते हैं
वह चलते-चलते
मुड़कर देखना भी नहीं चाहती
बहुत से कटु और सुखद अनुभवों को
स्वयं में समेटे हुए
वह अनन्त की ओर बढ़ती ही जाती है।
दूसरे के पापों का ढोना सहज ही नहीं है
इससे उसे पीड़ा होती है
तो पाप ढोने की पात्रता
उसे संतोष भीे देती है
खैर उसे इससे चैन नहींे मिलता
निंदा और प्रशंसा के
पार जाने की व्याकुलता में
निर्लिप्त, निस्वार्थ भाव से
बढ़ते जाना उसे विराट् बना देता है
और अन्त में उसे गिरना होता है
आंख बन्द कर अनन्त गहराई में
वह जब आंखें खोलती है तो पाती है
कि अब वह नदी नहीं
बल्कि समुद्र बन चुकी है
आत्मा का परमात्मा में विलय हो चुका है
अब वह पीछे छूट चुके
तालाबों और डबरों के प्रति
दया भाव से भर जाती है
किन्तु सभी को इतना नहीं मिलता
यह भाव ही उसे शांति देता है
अच्छा ही है कि वह शांत रहे
क्योंकि अब उसकी हल्की अशांति भी
कोई सुनामी ला सकती है।

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