Saturday, January 12, 2013

कोई महान मर गया ह

आज बाजार में बड़ा शोर है।
एक तरफ ही नहीं कई ओर है।
एक आदमी से पूंछने पर पता चला
कि- कोई महान मर गया है।
मरते-मरते भी बहुत कुछ कर गया है।
करोड़ो की सम्पत्ति थी उसके नाम,
आज उसे वह
अनाथालय के नाम कर गया है।
खुद भी जीवन भर आनन्द में रहा।
पर कई गरीबों के घर भर गया है।
यह सब सुनकर मैं बड़ा चकित हुआ।
कभी उत्साहित तो कभी द्रवित हुआ।
द्रवित तो यूं कि महान था
मर गया।
और आश्चर्य यह कि
वह इतनी बड़ी सम्पत्ति पर
कैसे पसर गया।
सम्पत्ति उसके बाप की थी
जब लोगों ने बताया।
तब कहीं जाकर
मेरे दिल को चैन आया।
‘‘खैर इससे मुझे क्या’’
यह सोच घर को बढ़ा।
कुछ दूर चैड़ी सड़क पर
था एक आदमी खड़ा।
तेज गति से वाहन आया,
चढ़ गया उस युवक पर।
न कोई चीख न कोई आवाज,
मर गया वो भी सड़क पर।
धीरे-धीरे लोग आना शुरू हुए।
मुंह बना-बनाकर फिर जाना शुरू हुए।
लगा जैसे आदमी नहीं,
कोई सूअर मर गया है।
और मर कर कुछ अधिक नहीं
सड़क खराब कर गया है।
थोड़ी देर बाद पुलिस आई,
पुलिसिओं से लाश उठवाई,
कपड़े खंगालने पर
एक पर्चा मिला है।
जिसमें परचुनी वाले के
हिसाब का नोटिस मिला है।
पता चला आदमी गरीब था।
घर स्टेशन के करीब था।
दो बच्चा और एक पत्नी
का अन्नदाता था।
आज ही मरने वाले महान
का भी कुछ पैसा
उस पर उधार था।
एक चिट्ठी और मिली
जिससे कुछ बात और पता चली।
उन्हीं ‘महान’ ने
चिट्ठी के माध्यम से,
कहलाया था।
पैसे न देने पर दो रात
उसकी पत्नी को बुलाया था.
 

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